ट्रेन से कटकर प्रेम रतन होटल के मालिक ने दी जान||
शनिवार की शाम जोगबनी से कोलकाता जा रही जोगबनी-चितपुर एक्सप्रेस में फारबिसगंज स्टेशन पर पहिया के नीचे छलांग लगाकर स्थानीय प्रेम रतन होटल के मालिक दिलीप जायसवाल (50) ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के बाद स्टेशन पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। किसी को समझ में नहीं आया कि युवाओं में काफी चर्चित दिलीप ने इस तरह का कदम क्यों उठाया। हालांकि परिजनों एवं उनके नजदीकियों से मिली जानकारी अनुसार वह कर्ज में पूरी तरह डूबा था और पिछले कई दिनों से कर्ज को लेकर परेशान था। दिलीप फारबिसगंज निवासी स्वर्गीय रघुनाथ प्रसाद चौधरी का बेटा था। वह विगत वर्ष ब्याज पर रुपए लेकर पुराना बस स्टैंड के पास प्रेम रतन होटल बनाया था इसमें अक्सर शादी विवाह व अन्य उत्सव पर बुकिंग करने का काम करता था। विगत वर्ष प्रेम रतन होटल काफी चर्चा में था लेकिन कोरोना को लें इस होटल की अहमियत समाप्त हो गई। कोरोना के दौरान होटल की बुकिंग समाप्त होने के बाद दिलीप की बेचैनी बढ़ गई थी क्योंकि ब्याज के पैसे देने में इन्हें पसीने छूट रहे थे। दिलीप को तीन पुत्री है जबकि उनकी पत्नी प्रीति देवी स्थानीय भाग कोहलिया की रहने वाली है। घटना के बाद जीआरपी जोगबनी के थाना अध्यक्ष राम बचन सिंह, फारबिसगंज जीआरपी के दारोगा शिवेंद्र कुमार, बलवीर चांद, आरपीएफ फारबिसगंज के दरोगा सज्जाद सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग जमा हो गए। घटना के संबंध में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रेन आने से पहले से दिलीप स्टेशन पर चुपचाप बैठा था । ट्रेन आने के कुछ क्षण पहले वह स्टेशन से नीचे उतर कर पटरी संख्या एक और दो के बीच शांत मुद्रा में बैठ गए। लेकिन जैसे ही फारबिसगंज स्टेशन से चितपुर एक्प्रेस कोलकाता के लिए खुली ,उन्होंने छलांग लगाकर अपनी गर्दन ट्रेन के पहिया में घुसा दिया जिससे उनका सिर गर्दन से अलग हो गया। वे इन दिनों अस्पताल रोड स्थित अलख निरंजन वाली गली में किराए के मकान में परिवार के साथ रहते थे । घटना के संदर्भ में मृतक के भांजा विशाल जायसवाल ने बताया कि घटना की सूचना पर वे लोग मर्माहत है। उन लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर उनके मामा ने इस तरह का कदम क्यों उठाया । उन्होंने इस बात को जरूर स्वीकारा कि पिछले कोरोना काल से दिलीप आर्थिक तंगी से गुजर रहा था और आर्थिक रूप से परेशान था। फिलहाल घटना को लेकर जितनी मुंह उतनी बातें कही जा रही है । मृतक चार भाई और एक बहन थे । चार भाइयों में एक भाई सुरेंद्र की पहले ही मौत हो चुकी थी जबकि दो और भाई जिंदा है। दिलीप अपने सर्किल में काफी चर्चित थे और खास करके सामाजिक काम में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाते थे। यही वजह है कि दिलीप की मौत की खबर सुन शहर के लोग स्टेशन की ओर दौड़ पड़े। फिलहाल दिलीप का शव स्टेशन पर पड़ा हुआ है और जीआरपी द्वारा पोस्टमार्टम की तैयारी की जा रही है।
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