बलिदानियों की धरती के रूप में है कुर्साकांटा पंचायत की है पहचान||
अररिया। भारत-नेपाल सीमा से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुर्साकांटा पंचायत की
अररिया। भारत-नेपाल सीमा से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुर्साकांटा पंचायत की पहचान बलिदानियों की धरती के रूप में है। स्वतंत्रता आंदोलन में यहां के वीर सपूतों ने देश का नाम रोशन किया है। अब पंचायत की गलियां सोलर लाइट से रात में भी जगमग हो रहीं हैं। विकास की बयार यहां भी बह रही है। बिजली, शुद्ध पेयजल, सड़क, शिक्षा व स्वास्थ्य आदि सभी क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है। यहां मुस्लिम और केवट की संख्या अधिक होने से पंचायत त्रिस्तरीय चुनाव में यह निर्णायक की भूमिका निभाती है। विगत एक दशक में पंचायत में यद्यपि विकास के काफी कार्य हुए हैं, लेकिन यहां बाढ़ की मुख्य समस्या है। चूंकि यहां के अधिकांश लोगों की जीविका खेती पर आधारित है। फसलें नष्ट हो जाने से लोग अन्य प्रांतों के लिए पलायन करने को मजबूर होते हैं ।पौराणिक पहचान कुर्साकांटा पंचायत के मरातीपुर में अत्यंत प्राचीन बाबा कुशेश्वर नाथ शिव मंदिर अवस्थित है। आजादी के पूर्व सिमरबन स्टेट द्वारा कई मंदिरों का निर्माण कराया गया था। कालांतर में यह मंदिर जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गया तब एक श्रद्धालु ने मंदिर का भव्य निर्माण कराया। आज सफेद टाइल्स से निर्मित मंदिर भव्य रूप ले चुका है। मंदिर से सटे विशाल जलाशय मंदिर की शोभा बढ़ा रही है। मुख्य सड़क से मंदिर परिसर तक जाने के लिए पक्की सड़क का निर्माण कराया गया है। इस रमणीक जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कल्पना पंचायतवासी कर रहे हैं। दूर दराज से आकर श्रद्धालुगण यहां धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
ऐतिहासिक पहचान कुर्साकांटा पंचायत की यह धरती बलिदानों की धरती रही है। देश को आजादी दिलाने में यहां के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों की काफी यातनाएं सही और जेल भी गए। स्व. हरिलाल झा, कमलानंद बिस्वास, कुशेश्वर शास्त्री, बसंत लाल साह, सीताराम गुप्ता आदि लोगों ने अपनी कुर्बानी दी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शिक्षण संस्थानों में इनका शिलापट्ट लगवाया। ताम्रपत्र देकर उन्हें सम्मानित भी किया था। आज कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी के परिवार हैं जो फटेहाल जिदगी जी रहे हैं। भौगोलिक स्थिति 15 किलोमीटर क्षेत्रफल वाली कुर्साकांटा पंचायत में 15 वार्ड हैं। यह पंचायत पूरब में सिकटी प्रखंड को छूती है। पश्चिम शंकरपुर, उत्तर पहुंसी तो दक्षिण में कमलदाहा पंचायत है। मुख्य समस्या इस पंचायत की सबसे बड़ी समस्या बाढ़ की त्रासदी रही है। नेपाल से आने वाली बकरा नदी एक बड़ा अभिशाप है। हजारों एकड़ में लगी फसलें प्रतिवर्ष नष्ट हो जाती है। बकरा नदी के कटान से लोग बेघर हो जाते हैं। बाढ़ से बचाने का अबतक कोई ठोस समाधान निकालने का प्रयास हुआ है।
क्या कहते हैं पंचायत के लोग प्रणव गुप्ता का कहना है कुर्साकांटा में धार्मिक धरोहर के रूप में मरातीपुर स्थित कुशेश्वर नाथ शिव मंदिर जिसके पूरब में विशाल जलाशल अवस्थित है। सदियों से जीर्णशीर्ण अवस्था में पड़े मन्दिर को एक श्रद्धालु विनोद कुमार झा ने निजी स्तर पर भव्य रूप देने का काम किया। सफेद टाइल्स से नवनिर्मित्त यह अत्यंत प्राचीन आज मंदिर भव्य रूप ले चुका है। पंचायत वासियों के लिए सदियों से यह मंदिर आस्था का प्रतीक रहा है। इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। यहां की सबसे बड़ी समस्या है बाढ़ की त्रासदी जिसके निदान के लिए स्थायी योजना बननी चाहिए। साथ ही रोजगार के अवसर गांव में उपलब्ध हो गांव व पंचायत और भी खुशहाल होगा।
सोलर लाइट की स्थिति पंचायत में मुखिया व विधायक विजय कुमार मंडल द्वारा सभी चौक चौराहों,सार्वजनिक स्थलों पर सोलर लाइट की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, जहां बिजली गायब होने के बाद भी चारों तरफ प्रकाश रहता है । नल जल योजना पंचायत के सभी 15 वार्डों में सात निश्चय योजना के तहत प्रत्येक घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के उद्देश्य से च रही नल जल योजना प्रगति पर है । सफाई वार्डों में वाटर पाइप बिछाने का काम चल रहा हैं, लेकिन अभिकर्ताओं के सुस्त कार्यप्रणाली के कारण सभी वार्डों में जलापूर्ति प्रारंभ नही हो सकी है।
विद्यालय की स्थिति यहां पहली कक्षा से स्नातक तक की पढ़ाई की व्यवस्था है। पंचायत में सात प्राथमिक सह मध्य विद्यालय है । एक टेन प्लस टू विद्यालय ,एक इंटर कॉलेज एवं एक डिग्री कॉलेज है। पंचायत की छात्राओं को स्नातक स्तर तक पढ़ाई के लिए अन्यत्र नहीं जाना पड़ता है । कोट अपने कार्यकाल में पंचायत की जनता के बीच रहकर उनकी समस्याओं को हमेशा दूर करने का प्रयास करती रही हूं। पंचायत के सभी 15 वार्डों में सड़क, पुल, पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था कराने का काम किया है। क्षेत्र में बाढ़ की समस्या मुख्य है। उसे भी उच्च स्तर से दूर करने का प्रयास कर रही हूं। -निसरत बानो, मुखिया, कुर्साकांटा पंचायत
खुटहरा कुर्साकांटा के बुलबुल सिंह का कहना है मुझे यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सात निश्चय योजना ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक वरदान साबित हुई है। कुर्साकांटा पंचायत की मुखिया निसरत बानो के कार्यकाल में जिस प्रकार चहुमुंखी विकास हुआ है वह प्रशंसनीय है, लेकिन बाढ़ से पंचायत वासियों को मुक्त कराने के लिए ठोस योजना की जरूरत है ।
- इंजीनियर दिवाकर दीनबंधु ने बताया पंचायत में विगत एक दशक में बेहतर विकास हुआ है। प्रत्येक गांवों तक पक्की सड़क, बिजली, पेयजल की सुविधा मिलने लगी है, लेकिन यहां की मुख्य समस्या बाढ़ व बेरोजगारी है। बाढ़ से यहां प्रति वर्ष हजारों एकड़ में लगी फसलें नष्ट होती हैं। उद्योग-धंधे के अभाव में लोग अन्य प्रांतों की ओर पलायन करने को मजबूर होते हैं। शिक्षा स्वास्थ्य की व्यवस्था होने पर भी यहां बेरोजगारी है। चूंकि यहां के अधिकांश लोग की जीविका खेती पर आधारित है।
सुरेंद्र साह का कहना है वर्तमान मुखिया निसरत बानो व पूर्व मुखिया मो. मुस्ताक अली के कार्यकाल में पंचायत में विकास को काफी गति मिली है। प्रत्येक वार्ड में सड़कों का जाल बिछा है। पंचायत में शायद ही कोई कच्ची सड़क बची हो, लेकिन बाढ़ की त्रासदी इस पंचायत की बड़ी समस्या है। मुखिया के काम को पंचायत के लोग सराहना कर रहे हैं । पंचायत का नाम: कुर्साकांटा पंचायत जनसंख्या: 16 हजार मतदाता: 11 हजार क्षेत्रफल: 15 किलोमीटर स्कूल: स्कूल सात प्राथमिक व मध्य विद्यालय, एक उच्च विद्यालय (टेन प्लस टू ), एक इंटर कॉलेज, एक डिग्री कालेज स्वास्थ्य केंद्र : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एक पशु चिकित्सालय: एक चिकित्सालय है प्रमुख कार्यालय: कार्यालय प्रखंड सह अंचल कार्यालय थाना, मनरेगा कार्यालय,बाल विकास परियोजना कार्यालय, 15 आंगनबाड़ी केंद्र सड़क: सभी वार्डो में पक्की सड़क, पुल-पुलिया है। साक्षरता: 60 प्रतिशत मुख्य रोजगार: खेती बाड़ी, व्यवसाय मुख्य समस्या: बाढ़ व बेरोजगारी|
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