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कृषि प्रणाली के बदलाव से किसानों के चेहरे पर लौट रही रौनक

 कृषि प्रणाली के बदलाव से किसानों के चेहरे पर लौट रही रौनक||

अररिया। देश की अर्थव्यवस्था का रीढ़ माने जान वाली कृषि प्रणाली के लिए सरकार काफी प्रतिबद्ध

अररिया। देश की अर्थव्यवस्था का रीढ़ माने जान वाली कृषि प्रणाली के लिए सरकार काफी प्रतिबद्ध दिख रही है। किसानों का कहना है हर रोज नए-नए प्रयोग कर सरकार कृषि प्रणाली को उन्नत बनाने की दिशा में प्रयत्नशील है। इसका जीता जागता उदाहरण बजट में कृषि के लिए दी गईं नई सौगात है। कृषि के क्षेत्र में बजट में सूक्ष्म सिचाई के लिए 10 हजार करोड़, एग्रीकल्चर इन्स्फ्रास्टकचर के लिए 40 हजार करोड़ एवं आत्मनिर्भर भारत के लिए 64 हजार 180 करोड़ दिए गए हैं। कही न कही कृषि व किसान के प्रति सरकार की चेतना झलक रही है।सीमावर्ती क्षेत्र के किसानों की माने तो उन्हें किसान बिल से कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें तो बस अपनी खेती-बाड़ी से मतलब है। किसानों का कहना है कि पहले की अपेक्षा कृषि प्रणाली में काफी बदलाव आया है। पहले परंपरागत तरीके से खेती की जाती थी। अब जागरूकता के कारण यहां के किसान नई तकनीकी माध्यम से खेती कर उत्पादन के क्षेत्र में आशातीत बढ़ोतरी कर रहे हैं। सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र के बाद यदि कोई बड़ा स्कीम देती है तो वह है कृषि से संबंधित विभिन्न प्रकार के लाभ। किसानों ने बताया कि समेकित कृषि प्रणाली, मत्स्य पालन, सब्जी उत्पादन, पशु पालन आदि के अलावा बोरिग योजना, यांत्रिकरण योजना पर सरकार द्वारा महत्वपूर्ण सब्सिडी एवं सरल पहुंच किसानों तक बनाई जा रही है।यहां के कृषकों की बहुत बड़ी समस्या बाढ़ की विभीषिका है। इसके लिए सरकार को उचित कदम उठाने की जरुरत है। वहीं दूसरी समस्या में इस क्षेत्र में बड़ी मंडी का अभाव है। किसानों ने बताया कि फसल उत्पादन के साथ-साथ यदि मंडी की व्यवस्था रहती तो फसलों का उचित मूल्य मिल पाता। फिर भी पैक्स व व्यापारमंडल के द्वारा सरकार द्वारा जारी समर्थन मूल्य पर कई फसलों का निपटारा आसानी पूर्वक संभव हो जाता है। इन सबके बावजूद यहां के किसान उन्नत तरीके से खेती कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं और कृषि में दिए गए आम बजट की तारीफ कर रहे हैं।कृषक मुनीलाल सिंह कहते हैं कि सरकार के कृषि संबंधित नीतियों का समर्थन करते हैं एवं उनके द्वारा जारी किए गए बजट पर पूरा भरोसा है।यहां के किसानों जीवन स्तर पहले से ज्यादा सुधरा है।सही समय पर खेती कर किसान अपने फसलों का भंडारण कर पाते है।सरकार द्वारा जारी सब्सिडी किसानों को काफी फायदेमंद साबित हो रही है।

---खौरागाछ के किसान शोभित चौधरी कहते हैं कि बिहार की अर्थव्यवस्था को देखते हुए धैर्य रखने की आवश्यकता है। पूर्व की अपेक्षा कृषि व्यवस्था काफी सु²ढ़ हुई है। चाहे वो तकनीक के मामले में हो या उर्वरक के मामले में। आज किसानों को कई तरह का लाभ दिया जा रहा है। वहीं कृषि कार्यों में विभाग द्वारा मदद व जानकारी भी मुहैया कराई जा रही है।

-----कृषक वीरेंद्र कुमार मंडल बताते हैं कि सरकार द्वारा कृषि कार्यों के लिए चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं जैसे मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, मिर्च उत्पादन, सब्जी उत्पादन कृषि समन्वयक के माध्यम से गांव-गांव पहुंचा हैं, जो बेहतर सरकारी व्यवस्था की देन है।

- ठेंगापुर के किसान आमोद कुमार मंडल का कहना है कि सरकार किसान व फसल उत्पाद पर खासा ध्यान दें रही है। तभी तो उत्पादन के क्षेत्र में काफी बदलाव देखने को मिल रहे है। जानकारी प्रदान कर उत्पादन को बढ़ाया जा रहा ताकि उनके जीवनशैली में बेहतर परिवर्तन लाया जा सके। जिसमें पैक्स के माध्यम से फसलों का क्रय-विक्रय, सरकारी दर पर उर्वरक व यंत्र उपलब्ध कराना, किसानों का प्रशिक्षण आदि शामिल है।

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